Unique Temple: भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक धरोहर के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इसे मंदिरों का देश भी कहा जाता है, जहां हर कोने में भव्य और प्राचीन मंदिरों का दर्शन होता है। इनमें से कुछ मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, तो कुछ अपनी रहस्यमय विशेषताओं के लिए। इन मंदिरों से जुड़ी कहानियां और चमत्कार लोगों को चकित कर देती हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही अद्भुत शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जो न केवल अपनी धार्मिक महिमा के लिए दुनिया भर में मशहूर है बल्कि यहां मौजूद नंदी महाराज के प्रतिमा दिन पर दिन बढ़ती जाती है। जी हां नंदी महाराज की प्रतिमा का आकार बढ़ता है।
श्री यांगती उमा महेश्वर मन्दिर (Shri Yangti Uma Maheshwar Temple)
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित श्री यांगती उमा महेश्वर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महिमा के लिए विशेष स्थान रखता है। हैदराबाद से करीब 300 किलोमीटर दूर यह मंदिर 15 सी सदी में विजयनगर साम्राज्य की संगम वंश के राजा हरिहर बुक्का राय द्वारा निर्मित किया गया था।
इस भव्य मंदिर की वास्तुकला में वैष्णव परंपरा की गहरी छाप देखने को मिलती है, साथ ही विजयनगर, चालुक्य, चोल और पल्लव शासकों की स्थापत्य शैली भी इसकी संरचना को बेहतरीन बनाती है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी कलात्मक खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी श्रद्धालुओं और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
भगवान शिव का आशीर्वाद
मान्यताओं के अनुसार श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर की स्थापना महान ऋषि अगस्त्य ने की थी। कहा जाता है कि अगस्त्य ऋषि इस स्थान पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनवाने का संकल्प लेकर आए थे, लेकिन निर्माण के दौरान मूर्ति का अंगूठा टूट जाने से वह अत्यंत दुखी हो गए।
अपनी तपस्या और आराधना के बल पर उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया जो स्वयं प्रकट होकर उनके समक्ष आए। भगवान शिव ने उन्हें बताया कि यह स्थान कैलाश पर्वत जैसा पवित्र और दिव्य है, इसलिए यहां उनका मंदिर बनाना ही उचित होगा। तभी से यह स्थान भगवान शिव और नंदी महाराज की भक्ति का केंद्र बन गया।
कौवों से रहित मंदिर
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि यहां आपको कोए बिल्कुल नजर नहीं आते। इसके पीछे एक प्राचीन कथा प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि जब ऋषि अगस्त्य इस पवित्र स्थान पर तपस्या कर रहे थे, तब कौवों की कांव कांव की आवाज से उनकी साधना में विघ्न पड़ रहा था।
इससे क्रोधित होकर मुनि ने कौओं को श्राप दे दिया था, कि वह इस स्थान पर कभी कदम नहीं रख पाएंगे, और अगर वे यहां आए तो उनकी मृत्यु हो जाएगी। तब से आज तक यह मंदिर कौवों से रहित है, जो इसे और भी अद्भुत बनाता है।
नंदी महाराज की बढ़ती मूर्ति (Nandi Maharaj growing statue)
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर का सबसे बड़ा आश्चर्य वहां स्थापित नंदी महाराज की मूर्ति है। यह प्रतिमा पत्थर से बनी हुई है और आदित्य रूप से हर 20 साल में इसका आकार 1 इंच बढ़ता जा रहा है। इस कारण से मंदिर में लगे खंभों को बार-बार हटाना पड़ता है, ताकि नंदी की बढ़ती हुई मूर्ति के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह बढ़ती हुई प्रतिमा एक संकेत है, कि कलयुग के अंत में नंदी महाराज अपनी लंबी नींद से जागकर विराट रूप में प्रकट होंगे और उनके साथ ही धरती पर प्रलय आ जाएगा। जिसमें पूरी सृष्टि का संहार होगा। इस रहस्यमय घटना को लेकर भक्तों में गहरी आस्था और श्रद्धा का भाव है।