Parenting Tips: आज के दौर में, स्मार्टफोन और टैबलेट हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। बड़े ही आश्चर्य की बात है कि छोटे बच्चों के हाथों में भी अब पर्सनल डिवाइस नजर आने लगे हैं। जबकि एक्सपर्ट्स बार-बार चेतावनी देते हैं कि छोटी उम्र में ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इंटरनेट के इस दौर में माता-पिता बच्चों को मोबाइल और टैबलेट से दूर रखने में असफल साबित हो रहे हैं। आइए जानते हैं बच्चों को देर तक टीवी और स्क्रीन क्यों नहीं देखनी चाहिए और इससे उन्हें क्या नुकसान हो सकते हैं।
देर तक टीवी और स्क्रीन क्यों नहीं देखनी चाहिए
चाइल्ड एक्सपर्ट्स के अनुसार, बच्चों का ज्यादा स्क्रीन टाइम उनकी मानसिक और शारीरिक विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। छोटी उम्र में मोबाइल और टीवी के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की व्यक्तित्व विकास रुक जाता है। सोशल स्किल कम होने और नए दोस्त बनाने के अवसरों में कमी आने के कारण बच्चे अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स माता-पिता को सचेत करते हुए कहते हैं कि बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना बहुत ज़रूरी है।
मेन्टल और फिजिकल हेल्थ पर पड़ता है असर
अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। चाइल्ड एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है, दिमाग की विकास धीमा हो सकता है, आंखों की समस्याएं हो सकती हैं, नींद में खलल पड़ सकता है, थकान और कमजोरी आ सकती है, मेमोरी पावर कम हो सकती है और एकेडमिक ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी बच्चों के मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है, जिससे उनमें एकाग्रता की कमी, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह याद रखना जरूरी है कि बच्चे तेज़ी से सीखते हैं और विकसित होते हैं।
बच्चों को स्क्रीन से कैसे रखें दूर
बच्चों को स्क्रीन से दूर करना एक चुनौती हो सकती है, लेकिन यह असंभव नहीं है। बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम सीमित करें और उनके लिए नियम बनाएं। बच्चों को स्क्रीन के बदले अन्य गतिविधियों में शामिल करें, जैसे खेलना, पढ़ना, कला और शिल्प, खेल खेलना और परिवार के साथ समय बिताना। बच्चों को स्क्रीन देखने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करें। उनके लिए अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करें और खुद भी कम स्क्रीन टाइम लें। बच्चों के साथ खुली बातचीत करें और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करें। धैर्य रखें और बच्चों को धीरे-धीरे बदलने में मदद करें। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर बच्चा अलग होता है। कुछ बच्चों को दूसरों की तुलना में अधिक समय लग सकता है।