MP: मध्य प्रदेश के हरदा जिले का एक छोटा सा गांव गोमगांव जो सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में स्थित है। यह गांव बाकी आसपास के गांव के मुकाबले में थोड़ा छोटा जरूर है लेकिन इस गांव में एक नहीं दो नहीं बल्कि अनेक ऐसी खास बातें हैं जो इसे बाकी गांव से काफी अलग बनाती है, जो भी बाहर के लोग इस गांव में आते हैं उन्हें इस गांव से कई दिनों तक जाने का मन नहीं करता है। इसके पीछे के कई कारण है जैसे गांव की हरि वादियां, हरे-भरे खेत, लंबे चौड़े खुले मैदान आदि। साथ ही साथ गांव का वातावरण भी लोगों को अपनी ओर खींचता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम आपको गांव गोमगांव के बारे में इतना क्यों बता रहे हैं, दरअसल सावन का महीना चल रहा है यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है ऐसे में हमने सोचा कि क्यों ना हम आपको गोमगांव जहां दक्षिण दिशा में बहती घोंगई नदी के तट पर स्थित भोलेनाथ, जो प्राचीन काल से विराजमान है उनके दर्शन करवाते हैं।
“सिद्ध जलाधारी महादेव”
घोंगई नदी के तट पर स्थित भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर “सिद्ध जलाधारी महादेव” के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर कोई आम मंदिर नहीं है यह स्थल कई अद्भुत विशेषताओं और चमत्कारी घटनाओं से परिपूर्ण है, इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यहां कामना करता है उसकी कामनाएं जल्द पूरी हो जाती है, स्थानीय लोगों का कहना है कि बाबा जलाधारी महादेव कभी भी किसी को निराश नहीं करते हैं। हालांकि इस मंदिर के बारे में इतना कुछ कहा जाता है कि इसकी महिमा और दिव्यता को अपने शब्दों में बयां कर पाना इतना आसान नहीं है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा इस मंदिर से जुड़े छोटे-बड़े सारे रहस्य बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।
घोंगई नदी का अनोखा प्रवाह
ग्राम गोमगांव में स्थित घोंगई नदी की धारा साल भर निरंतर बहती है और इसकी धारा गांव की सीमा रेखा में कभी समाप्त नहीं होती। यह नदी स्थानीय लोगों के लिए जीवनदायिनी के रूप में महत्वपूर्ण है। नदी का जल न केवल स्थायी है बल्कि इसमें अद्वितीय गुण भी हैं। इसके प्रवाह की निरंतरता और शुद्धता इसे एक धार्मिक और पौराणिक स्थल के रूप में स्थापित करती है।
अद्भुत खजाना
घोंगई नदी में समय-समय पर पत्थरों से निर्मित खाद्य पदार्थ जैसे काजू, बादाम, सुपारी, लौंग, इलायची, और सिंघाड़ा प्राप्त होते हैं। ये पदार्थ प्राचीन काल के धार्मिक संकेतक माने जाते हैं और स्थानीय लोगों के लिए इसे एक चमत्कारी घटना के रूप में देखा जाता है। इन पदार्थों की प्राप्ति ने नदी के पौराणिक महत्व को और भी प्रगाढ़ कर दिया है।
स्नान का दिव्य अनुभव
घोंगई नदी में स्नान करने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मां गंगा में डुबकी लगाई हो। नदी का जल अत्यंत शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह गंगा के प्रवाह जैसा प्रतीत होता है, जो भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। यहां स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की मान्यता है।
स्वाभाविक शिवलिंग
इस नदी में सच्चे मन से खोज करने पर प्राकृतिक शिवलिंग प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मां नर्मदा में शिवलिंग मिलते हैं। यह शिवलिंग नदी के तल पर स्थित होते हैं और शिला पर उकेरे गए होते हैं। ये शिवलिंग बाबा जलाधारी महादेव की महिमा और उनकी दिव्यता को दर्शाते हैं।
अविरल धार्मिक चमत्कार
घोंगई नदी बारिश के मौसम में जब उफान पर होती है, तब पूरा मंदिर जलमग्न हो जाता है। बावजूद इसके, मंदिर के अंदर की वस्तुएं और धार्मिक सामग्री बिना किसी क्षति के सुरक्षित रहती हैं। यह घटना मंदिर के धार्मिक और दिव्य गुणों को दर्शाती है और इसे एक अनोखा चमत्कार मानती है।
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स्वप्न में प्रकट हुए बाबा
लगभग 65-70 वर्ष पूर्व, ब्राह्मण स्व. श्री कुंजीलाल जी शर्मा के स्वप्न में बाबा जलाधारी महादेव आए और उन्हें आदेश दिया कि जहां वह स्नान करने आते हैं, वहां मंदिर स्थापित किया जाए। इस स्वप्न के अनुसार जब खुदाई की गई तो यह सत्य साबित हुआ कि बाबा जलाधारी महादेव वहां पहले से विराजमान थे। इस घटना ने बाबा के दिव्य अस्तित्व को साबित किया और एक पवित्र स्थल का निर्माण संभव हुआ।
योगी बाबा की सेवा
बाबा जलाधारी महादेव ने अपने भक्तों की सेवा के लिए एक योगी बाबा को बुलाया, जो अमरनाथ से गोमगांव आए। योगी नरहरी नाथ बाबा ने गांववासियों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया और ९ कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के आयोजन से गांव में किसी प्रकार का अनिष्ट नहीं हुआ और यहाँ की धार्मिक स्थिति को सुदृढ़ किया गया।
पुजारी बाबा की अंतिम यात्रा
समय बीतता गया और बाबा के प्रति आस्था बढ़ती गई,और पुजारी बाबा भी काफी उम्रदराज हो चुके थे,उनके अंत समय में उन्होंने पुनः एक बार फिर बाबा जलाधारी के दर्शन किए और उन्ही के चरणों में समर्पित हों गए।
योगी बाबा का दिव्य आगमन
समय चक्र का पहिया घुमा और बाबा जलाधारी महादेव ने अपनी सेवा के लिए एक योगी बाबा को बुलावा भेजा और वो भी बिना किसी संकोच सीधे अमरनाथ से छोटे से गांव गोमगांव में आ गए। योगी नरहरी नाथ बाबा से जब ग्रामिणजनो ने संपर्क किया तो उन्होंने बताया मुझे स्वप्न में यहां आने को कहा मैं आ गया। योगी बाबा की सेवा प्रारंभ हो गई।
मंदिर निर्माण और 9 कुंडीय यज्ञ
समय के साथ योगी बाबा ने ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर निर्माण किया। उसी आधार शिला के अंतर्गत योगी बाबा जो एक अघोरी संत थे वे जानते थे गांव में कोई सुखी नही है,उनके आश्वासन पर यहां 9 कुंडीय यज्ञ का भी आयोजन किया गया तब से आज तक गांव में कोई अनिष्ट नही हुआ।
कांवड़ यात्रा की शुरुआत
गांव के एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार के सदस्य, जितेंद्र तिवारी (गुड्डू सेठ) ने एक महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रस्तावित किया कि बाबा जलाधारी की कांवड़ यात्रा प्रारंभ की जाए। योगी बाबा इस विचार से अत्यंत प्रसन्न हुए और इसे सौभाग्य की बात मानते हुए सहमति दी। इस प्रकार, कांवड़ यात्रा ने बड़े उत्साह, प्रेम और भक्ति के साथ शुरू की गई। यह यात्रा देवास जिले के नेमावर से मां नर्मदा का जल लेकर बाबा जलाधारी महादेव का जलाभिषेक श्रावण माह के पहले सोमवार को किया जाने लगा।
योगी बाबा का अंतिम समर्पण
योगी बाबा ने भी जीवन की आखिरी उम्र पार कर ली। योगी बाबा, जिन्होंने अपने जीवन के दौरान बाबा जलाधारी महादेव की सेवा की थी, अब अंततः बाबा के चरणों में समर्पित हो गए। उन्होंने अपने अंतिम समय में एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से इच्छा व्यक्त की कि उनका दाह संस्कार न किया जाए और न ही उन्हें दफनाया जाए। इसके बजाय, उन्होंने समाधि देने की बात कही। उनके इस अंतिम आदेश के अनुरूप, योगी बाबा को समाधि दी गई, जो उनके भक्तों और गांववासियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक घटना थी।
(Disclaimer-यह जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर दी गई है। Basuram.com इसकी सत्यता की गारंटी नहीं देता।)