Famous Temple: हिंदू धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में से एक माना जाता है। उन्हें सृष्टि के विनाशक और रचनाकार के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव को महाकाल, भोले, शम्भू, नटराज, महादेव और आदियोगी आदि अनेक नामों से जाना जाता है। भगवान शिव का स्वरूप विचित्र और भव्य है। वे त्रिनेत्र हैं, उनके मस्तक पर गंगा नदी बहती है, और वे अपने गले में सर्प पहनते हैं। भगवान शिव को कैलाश पर्वत का निवासी माना जाता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। सावन मास भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। इस माह में लाखों श्रद्धालु शिव मंदिरों में दर्शन करने और पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। भगवान शिव को शिवलिंग, नंदी, त्रिशूल और डमरू जैसे प्रतीकों से भी दर्शाया जाता है। भगवान शिव के भक्तों को ‘शैव’ कहा जाता है। भगवान शिव को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वे सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने वाले देवता हैं। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखने वालों को जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में, शांत सी आरावली पहाड़ियों की तलहटी में बसा हुआ है, प्रसिद्ध घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर। यह भव्य मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, और हिंदू धर्म में इसका एक विशेष स्थान है। किंवदंतियों के अनुसार, यह वही स्थान है जहां भगवान शिव ने अंतिम विश्राम लिया था।
मंदिर का इतिहास 14वीं शताब्दी तक जाता है, और माना जाता है कि इसका निर्माण महान राजा रामचंद्र ने करवाया था। स्कंद पुराण और पद्म पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। नागरा शैली में निर्मित यह मंदिर अपनी भव्यता से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। मुख्य गर्भगृह में विराजमान भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग मंदिर की आस्था का केंद्र है। साथ ही, मंदिर परिसर में भगवान शिव के वाहन नंदी की विशाल मूर्ति, त्रिशूल और डमरू भी श्रद्धालुओं के दर्शन का विषय बनते हैं।
जयपुर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर सड़क और रेल मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर तक की यात्रा न केवल आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करती है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद उठाया जा सकता है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और जयगढ़ किला जैसे ऐतिहासिक स्थल भी घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की यात्रा को और भी यादगार बना देते हैं।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह राजस्थान के आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक है। यह मंदिर शांति और आशीर्वाद की तलाश करने वाले सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
मंदिर का महत्व
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का धार्मिक महत्व है। भगवान शिव के अंतिम ज्योतिर्लिंग के रूप में, यह मंदिर साल भर भक्तों को अपनी ओर खींचता है। सावन का महीना, जो भगवान शिव को समर्पित होता है, यहां विशेष उत्सव का समय होता है। लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर जलाभिषेक करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।