MP: मध्य प्रदेश में हो रही भीषण बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई जगहों पर पुल और पुलियाएं ढह गई हैं, जिससे यातायात बाधित हुआ है और लोगों को आने-जाने में काफी मुश्किल हो रही है। देवास से हरदा के बीच स्थित नेमावर में नर्मदा नदी पर बना 43 साल पुराना पुल धंस गया है।, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात ठप हो गया है।
भारी वाहनों पर लगा प्रतिबंध
ढहते पुलों के कारण भारी वाहनों का आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे माल ढुलाई और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट किया जा रहा है, जिससे यात्रा का समय बढ़ गया है और यातायात जाम की स्थिति पैदा हो गई है।
इंदौर-बैतूल नेशनल हाइवे पर स्थित पुल से दो दिन तक भारी वाहनों का प्रवेश रोकने की बात कही गई है। इस पुल की स्थिति पहले से ही चिंताजनक थी, क्योंकि पिछले साल भी यहां एक गड्ढा हुआ था, जिसे ठीक करने के बाद पुल को चालू रखा गया था। पुलिस के अनुसार, इस बार तेज बारिश से नेमावर में नर्मदा के पुराने पुल का स्लैब धंस गया है। शुक्रवार शाम को पुल के धंसते ही प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए यहां से भारी वाहनों को निकालना बंद कर दिया। पुल के धंसने से राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात में भारी बाधा उत्पन्न हो गई है, और यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ रहा है।
संदलपुर फाटे पर पुल मरम्मत के चलते भारी वाहनों की डायवर्जन :
शाम लगभग साढ़े 5 बजे से भारी वाहनों को संदलपुर फाटे से मोड़कर भेरुंदा मार्ग पर डायवर्ट कर दिया गया है। नेमावर पुलिस ने सूचित किया कि करीब 2 बजे पुल के स्लेब में धंसाव हो गया था। इसके बाद गड्ढे की मरम्मत की गई, जबकि सड़क के अन्य हिस्से से यातायात को जारी रखा गया। शाम के समय भारी वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से बंद कर दिया गया और उन्हें डायवर्ट कर दिया गया।
क्यों ढह रहे हैं पुल?
इन पुलों और पुलियाओं की स्थिति पहले से ही काफी जर्जर थी, और समय पर इनकी मरम्मत नहीं की गई, जिससे हालात और बिगड़ गए हैं।
इसके अलावा, राज्य के अन्य हिस्सों में भी कई पुराने पुल और पुलियाएं इसी तरह के खतरों का सामना कर रही हैं। कई ढांचे अपनी उम्र के कारण पहले से ही कमजोर हो चुके हैं और उनकी समय पर मरम्मत और रखरखाव नहीं किया गया है। कुछ पुलों का निर्माण घटिया सामग्री का उपयोग करके किया गया था, जो अब इन पर भारी बारिश और बाढ़ के दबाव को सहन नहीं कर पा रहे हैं।
लगातार हो रही भारी बारिश ने इन कमजोर ढांचों पर अत्यधिक दबाव डाल दिया है, जिससे इनके धंसने और टूटने का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी की घंटी है, ताकि वे बुनियादी ढांचे की नियमित जांच और रखरखाव को प्राथमिकता दें।